Sunday, July 8, 2007

ताज़ और हम

आज हम भारतीयों की मेहनत रंग लायी और हमने ताज को फिर से सात अजुबों में इसको जगह दिलायी. न केवल सात अजुबों में सामिल किया बल्कि पहला स्थान दिलाया. वैसे ये हम भरतीयों की आदत है जो हम ठान लेते हैं वो पूरा करके ही दम लेते हैं और आज भी हमने यही करके दिखाया. किसी भारतीय द्वारा ताज़ को सात अज़ुबों में सामिल होने की उदघोषणा करते हुए अच्छा लगा. सुबह-सुबह जब हमने अपना टेलीवीजन ऑन किया तो देखा कि ताज़महल सात अज़ूबों में सामिल हो गया है, देखकर अच्छा लगा. कुछ समय तक देखते रहे तो पता चला कि ताज़महल ने दौड़ में पहला स्थान पाया है. हमने ताज़महल को सात अज़ूबों का सरताज़ तो बना दिया है पर अब हमारा और हमारे रहनुमाओं का कर्तव्य है कि इस धरोहर को (जिसे ये मुकाम दिलाने में करोड़ों भरतीयों का योगदान है) धरा में जीवित रखने के लिए धन और संसाधनों का उचित प्रबन्ध करें जिससे भारतीय पर्यटन में गति आये और हम शान से कहें वाह ताज़ अपने सुझावों और आलोचनाओं से अवगत करयें......

1 comment:

Anonymous said...

bahut badiyaa neelkanth ji